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बटेश्वर में आस्था का केंद्र है ऊखल

काशी काली काल बटेश्वरम। कालिंजर महाकाल उक्खला नव प्रकीत्र्यु: ।। बौद्ध ग्रंथ अवदान कल्पता में देश के जिन नौ ऊखल क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है। उनमें से दो बृज की काशी बटेश्वर में होने से तीर्थ श्रद्घालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। साहित्यकार डॉ. बीपी मिश्र कहते है कि बटेश्वर में दो ऊखल क्षेत्र उत्तर और दक्षिण में हैं। (ऊखल क्षेत्र में प्रलय काल में धरती से स्वत: ही जल की धारा फूटती है। बटेश्वर में आज भी 10 से 15 हाथ की गहराई पर भूगर्भ जल मौजूद है।)  देश के नौ ऊखल क्षेत्रों में से दो ऊखल क्षेत्र बटेश्वर में होने के कारण इस तीर्थ का महत्व और भी बढ़ जाता है। जानकार लोग बताते हैं कि पूरे भारत वर्ष में महाकाल (उज्जैन) रेणुका, शुकूर, कालो, काली, कालींजर, काशी और बटेश्वर सहित नौ ऊखल क्षेत्र हैं अगर साहित्यकारों की बात पर यकीन करें तो बटेश्वर के दक्षिण व उत्तर क्षेत्र में दो ऊखल क्षेत्र हैं बताते हैं कि प्रलयकाल के दौरान पृथ्वी से स्वत: ही जल का निकास होता है। इसी के कारण बटेश्वर में भूगर्भ जल 20 से 25 फीट की गहराई पर मिल जाता है। इसी महत्व के चलते बटेश्वर को सभी तीर्थो का भांजा कहा जा