शिव की महिमा से ओतप्रोत, बाह में प्रचलित एक जकड़ी भजन में "भदावर के शाहजहाँ" बदन सिंह जू देव का वर्णन है :- आजु सभा के बीच मनाये रहे, बाबा बटेश्वर वारे कौं शिव शंकर डमरू वारे कौं, नेक ज्ञान दियो अपने जनु को नेक ज्ञान दियो अपने जनु कों । न बुद्धि है मेरे तन को, न बुद्धि है मेरे तन को । आजु सभा के बीच मनाये रहे बाबा बटेश्वर वाले को शिव शंकर डमरू वारे कौं एक कन्या जल में कूद गयी, जब बीच धार में आयी गयी, तब बीच धार - में आयी गयी, तब पुत्र - पुत्र कर नाथ उबारो डूबते वंश हमारे कौं शिव शंकर डमरू वारे कौं, हम आजु सभा के बीच मनाये रहे, बाबा बटेश्वर वारे कौ, शिव शंकर डमरू वारे कौं, फिर बदन सिंह वे कहलाये, फिर बदन सिंह वे कहलाये, सुंदर मंदिर उन्नै बनवाये फिर सुंदर मंदिर उन्नै बनवाये फिर गिरिजा पथ पर उछारों तीर्थधाम तिहारे शिव शंकर डमरू वारे कौं, हम आजु सभा के बीच मनाये रहे, बाबा बटेश्वर वारे कौं, शिव शंकर डमरू वारे कौं, । यह भजन मात्र श्रद्धा-भक्ति की भावना से युक्त गाथा ही नहीं हैं, इसमें ऐतिहासिक सत्य भी छिपा है ।
पर्युषण पर्व 2021: जैन पर्व का महत्व और इतिहास पर्युषण पर्व प्रमुख जैन त्योहारों में से एक है जो हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है। इस वर्ष यह 4 सितंबर से 11 सितंबर 2021 तक मनाया जा रहा है। यह मूल रूप से भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। संक्षेप में यह त्योहार जैन समुदाय के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि मुसलमान के लिए ईद और हिन्दू के लिए दीवाली। आइए इस त्योहार और इसके महत्व के बारे में और जानेंगे। Shri Digamber Jain Temple Shauripur पर्युषण पर्व 2021 तिथि इस वर्ष पर्युषण पर्व 04 सितंबर से 11 सितंबर 2021 तक मनाया जा रहा है। भाद्रपद यानी भादो मास की पंचमी तिथि को शुरू होने वाला यह पर्व अनंत चतुर्दशी तिथि तक मनाया जाता है। पर्युषण पर्व क्या है? पर्युषण का शाब्दिक अर्थ है "परि" यानी चारों ओर से और "उषण" यानी धर्म की आराधना। यह पर्व महावीर के मूलभूत सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म या कहें जिओ और जीने दो सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। जैन श्वेतांबर और दिगंबर समाज के पर्युषण पर्व भाद्रपद मास में मनाए जाते हैं। श्वेतांबर के व्रत स